खामोसी हवाओं में , ये रंग तेरा फ़िज़ाओं में हैं
तपिस तेरे प्यार इस सर्द धुप की छाओं हैं...
रैना में देखूँ जब मैं तारे झिलमिल,
मुझको तू लगती हैं मेरी मंज़िल ;
तेरे मेरे प्रेम के थे वो जो रंग,
आज लगें वह सतरंगी हर पल...
सोचता हूँ अक्सर काश मैं तुमसे कुछ कह पाता,
अपने ख्वाब तुम्हारी पलकोँ में बुन पाता
कभी सोचता हूँ की अगर तुम मेरे पास रहती ,
तो हमारी कहानी भी कुछ और होती।।।
शाम की सिलवटें अपने दामन में तेरी याद छुपाती है..
मेरे सोने पहले मेरे नैनों में तेरे सपने बुन जाती हैं
ढलते हुए सूरज की तपिश कुछ खोने कुछ खोने का एहसास दिलाती हैं..
पर रात की चांदनी फिर से तेरे एहसास को वापिस ले आती हैं
तपिस तेरे प्यार इस सर्द धुप की छाओं हैं...
रैना में देखूँ जब मैं तारे झिलमिल,
मुझको तू लगती हैं मेरी मंज़िल ;
तेरे मेरे प्रेम के थे वो जो रंग,
आज लगें वह सतरंगी हर पल...
सोचता हूँ अक्सर काश मैं तुमसे कुछ कह पाता,
अपने ख्वाब तुम्हारी पलकोँ में बुन पाता
कभी सोचता हूँ की अगर तुम मेरे पास रहती ,
तो हमारी कहानी भी कुछ और होती।।।
शाम की सिलवटें अपने दामन में तेरी याद छुपाती है..
मेरे सोने पहले मेरे नैनों में तेरे सपने बुन जाती हैं
ढलते हुए सूरज की तपिश कुछ खोने कुछ खोने का एहसास दिलाती हैं..
पर रात की चांदनी फिर से तेरे एहसास को वापिस ले आती हैं
No comments:
Post a Comment