Wednesday, 28 December 2016

तपिस

खामोसी हवाओं में , ये रंग तेरा फ़िज़ाओं  में हैं
तपिस तेरे प्यार इस सर्द धुप की छाओं हैं...

रैना में देखूँ जब मैं तारे झिलमिल,
       मुझको तू लगती हैं मेरी मंज़िल ;
तेरे मेरे प्रेम के थे वो जो रंग,
   आज लगें वह सतरंगी हर पल...

सोचता  हूँ  अक्सर काश मैं तुमसे कुछ कह पाता,
अपने ख्वाब  तुम्हारी पलकोँ में बुन पाता
कभी सोचता हूँ की अगर तुम मेरे पास रहती ,
तो हमारी कहानी  भी कुछ और होती।।।

शाम की सिलवटें अपने दामन में तेरी याद छुपाती है..
मेरे सोने  पहले मेरे नैनों में तेरे सपने बुन जाती हैं

ढलते हुए सूरज की  तपिश कुछ खोने कुछ खोने का एहसास दिलाती हैं..
पर रात की चांदनी फिर से तेरे एहसास को वापिस ले आती हैं

 








Saturday, 23 July 2016

पगडंडि

पगडंडियों से मिलती राहें जैसे;
    तेरी यादों की परछाई मिलती मुझसे ..... 
कहती रहती जहाँ  तन्हाई तू सिमट जाएगी,
    वही तेरी कहानी फिर से लिखी जाएगी.... 
साँझ का गून्घट भी दमक जायेगा, जब रवि की किरण उससे मिल जाएगी ॥

तुम्हारी याद की  गहराई  के पट हैं..
     जैसे काली घटा में छिपे पट  हैं ,
अक्सर किसी राह में खो जाता हूँ,
     तुमसे मिलने से पहले हीं तुमसे  दूर चला चला जाता हूँ..

तुम्हारे प्रेम की गहराई  सायद ना समझ पाऊंगा ,
     पर अपनी कहानी तुम्हें  बताऊंगा ,,,,
मेरा मन किसी अनजान धुएं  खोता हैं,
    अक्सर निरर्थक ख्यालों में उलझता हैं,,,,

उलझे ख्यालों से भरा यह मन ,,,
   क्या तुम ही हो मेरी धड़कन  ॥