Thursday, 19 April 2018

दस्तक

भीनि भीनी वोः महक तेरी ,
दिल के दरवाजे पे जो दस्तक दे जाती है.
उन पन्नों से ख़ुश्बू आज भी आती है... 

दूर जाके पास आना तेरा,
आँखें मिला के नज़रें फेर लेना तेरा,,
तेरी साँसों की गर्मी आज भी मेरे रूह में घुल जाती है,
तुम्हारी याद शायद  आज भी आती है | 

मुस्कुरा के यूँ रूठ जाना तेरा. 
आसुओं में यूँ डूब जाना तेरा।।
तुम्हारी बातें हैं बिल्किल जहाँ से परी,
जाने  कहाँ मैं हूँ बैठा, जाने कहाँ हो तुम खड़ी.....  

फिर भी तेरी महक दिल पे दस्तक जाती है  || 





Friday, 20 January 2017

महक

बर्फ से  उजली इन बाड़ों की अंगारिओं में,
    लगे जहाँ सोया सोया तेरी यादों में..
खाव्बों की बूँदें चलके इन आँखों में,
    पाया जैसे मैंने यह जहाँ इन पलकों में ॥

खोये रहे हम तुम जैसे,
       ये वक़्त गुजर जाये न यूँ ही  ऐसे.
 दिल में बजती धड़कन हो ऐसे,
      दूरियों को भ कुछ पता चला हो जाइए।।

मेरा दिल है तेरा दीवाना तू रूह रूह  में मेरी बसती है,
इन लम्हो मैंने जाना, मरे हर ख्वाब में तूं ही रहती हैं ।
इन वादियों की गहराई में गूंज सदा तेरी रहती हैं,
तुझे मिलने जाऊं कहाँ ?
मेरी हर साँसों में तेरी महक रहती है ॥


Wednesday, 28 December 2016

तपिस

खामोसी हवाओं में , ये रंग तेरा फ़िज़ाओं  में हैं
तपिस तेरे प्यार इस सर्द धुप की छाओं हैं...

रैना में देखूँ जब मैं तारे झिलमिल,
       मुझको तू लगती हैं मेरी मंज़िल ;
तेरे मेरे प्रेम के थे वो जो रंग,
   आज लगें वह सतरंगी हर पल...

सोचता  हूँ  अक्सर काश मैं तुमसे कुछ कह पाता,
अपने ख्वाब  तुम्हारी पलकोँ में बुन पाता
कभी सोचता हूँ की अगर तुम मेरे पास रहती ,
तो हमारी कहानी  भी कुछ और होती।।।

शाम की सिलवटें अपने दामन में तेरी याद छुपाती है..
मेरे सोने  पहले मेरे नैनों में तेरे सपने बुन जाती हैं

ढलते हुए सूरज की  तपिश कुछ खोने कुछ खोने का एहसास दिलाती हैं..
पर रात की चांदनी फिर से तेरे एहसास को वापिस ले आती हैं

 








Saturday, 23 July 2016

पगडंडि

पगडंडियों से मिलती राहें जैसे;
    तेरी यादों की परछाई मिलती मुझसे ..... 
कहती रहती जहाँ  तन्हाई तू सिमट जाएगी,
    वही तेरी कहानी फिर से लिखी जाएगी.... 
साँझ का गून्घट भी दमक जायेगा, जब रवि की किरण उससे मिल जाएगी ॥

तुम्हारी याद की  गहराई  के पट हैं..
     जैसे काली घटा में छिपे पट  हैं ,
अक्सर किसी राह में खो जाता हूँ,
     तुमसे मिलने से पहले हीं तुमसे  दूर चला चला जाता हूँ..

तुम्हारे प्रेम की गहराई  सायद ना समझ पाऊंगा ,
     पर अपनी कहानी तुम्हें  बताऊंगा ,,,,
मेरा मन किसी अनजान धुएं  खोता हैं,
    अक्सर निरर्थक ख्यालों में उलझता हैं,,,,

उलझे ख्यालों से भरा यह मन ,,,
   क्या तुम ही हो मेरी धड़कन  ॥








Friday, 13 June 2014

तुम्हारी यादें

जाने क्या सोच के मैं घबराता हूँ,
        जब भी मिलता हूँ तुमसे ;
मैं खुद में हैं खो जाता हूँ !!

घुलती हुई स्याही की तरह
          तुम्हारी बातें लगें मुझे परछाई की तरह.
चाहता हूँ वह हर पल मेरे साथ रहे,
पर अँधेरे की स्याह रातों की तरह,
वो भी मुझसे दूर हो गयी तुम्हारी तरह!!!

इस रैना की बात निराली हैं,
इतनी नशीली की पूरे जग ने अपनी होश  गवां  डाली है..
 अपनी हीं गहराई में वह इतनी  खो  जाती है,
की भोर आने  सुबह की किरने भी उसे  उठा नहीं पाती..
बीती हुई रैना के भी साथ काश में खुद भी घूम हो पाता,
  सुबह  की नयी किरण से  नया रूप  गढ़ पाता!!!

लेकिन  सोचता  हूँ मैं ;
क्या गुम होकर भी  तुमसे  पाऊँगा ???
        क्योंकि मुझे लगता हैं   मेरी परछाई का एक रूप तुम भी हो,
          मेरे शब्दों में पिरोई कोई कहानी तुम ही हो !!!!!





Sunday, 9 February 2014

yun hin....

kabhi sawalon mein kabhi jawabon mein,
    kabhi meri aanakhon ki parchai mein...
kabhi pulkit dhoop ki thandi kiranon mein
    kabhi raina ki thandi chaon mein...

kabhi yunhin madhoshi mein budbudate.
    tum chu lena mujhe yun hin muskurate...

papihe ki goonj mein tum yun hin tirakte
       mil lena mujhe tum yun hin bilakhte...
khoye hue chand ki yeh baatein jara,
      sun lena tum mujhe yun jata muskurate....

har kahani ke kai pat hota hai,
ek band toh doosare khule hota hai...
waqt ki kitab kabhi khatm nahin hoti
har adhyay mein nayi sira ka dhara hota hai....
Phir aksar main khud mein kyun ulajh jata hoon,
chahkar bhi main tumse door nahin jaa pata hoon ................


Monday, 2 December 2013

taqdeer

haathon mein chipi taqdeer ki tarah,
gum ho gaye tum us dundh ki tarah..

doondhta rah gaya main tumhe us aashiyan mein,
jahan chor gaye the tum mujhe kitabon mein rakhe sukhe phool ki tarah....

ulti firti chalti in lakiron ki chal ajab hai,
tumhari muskurahat ki kuch baat alg hai..
lakiron ki koi suruat nahin hoti,
aur tumahri intezaar ki kabhi raat nahi hoti...
ab yeh lakiren bhi doondhli hoti jaati hain,
sayad mujhe tere gair hone ka ehsas dilati hain..

waqt ko peeche murna sayad manjoor na hoga...
may se chalki madira mein woh suroor na hoga..
kisi ansui raaton mein,
tum hamein sunti raho, yehi hamari ibadat hai.....