Thursday, 19 April 2018

दस्तक

भीनि भीनी वोः महक तेरी ,
दिल के दरवाजे पे जो दस्तक दे जाती है.
उन पन्नों से ख़ुश्बू आज भी आती है... 

दूर जाके पास आना तेरा,
आँखें मिला के नज़रें फेर लेना तेरा,,
तेरी साँसों की गर्मी आज भी मेरे रूह में घुल जाती है,
तुम्हारी याद शायद  आज भी आती है | 

मुस्कुरा के यूँ रूठ जाना तेरा. 
आसुओं में यूँ डूब जाना तेरा।।
तुम्हारी बातें हैं बिल्किल जहाँ से परी,
जाने  कहाँ मैं हूँ बैठा, जाने कहाँ हो तुम खड़ी.....  

फिर भी तेरी महक दिल पे दस्तक जाती है  ||