पगडंडियों से मिलती राहें जैसे;
तेरी यादों की परछाई मिलती मुझसे .....
कहती रहती जहाँ तन्हाई तू सिमट जाएगी,
वही तेरी कहानी फिर से लिखी जाएगी....
साँझ का गून्घट भी दमक जायेगा, जब रवि की किरण उससे मिल जाएगी ॥
तुम्हारी याद की गहराई के पट हैं..
जैसे काली घटा में छिपे पट हैं ,
अक्सर किसी राह में खो जाता हूँ,
तुमसे मिलने से पहले हीं तुमसे दूर चला चला जाता हूँ..
तुम्हारे प्रेम की गहराई सायद ना समझ पाऊंगा ,
पर अपनी कहानी तुम्हें बताऊंगा ,,,,
मेरा मन किसी अनजान धुएं खोता हैं,
अक्सर निरर्थक ख्यालों में उलझता हैं,,,,
उलझे ख्यालों से भरा यह मन ,,,
क्या तुम ही हो मेरी धड़कन ॥
तुम्हारी याद की गहराई के पट हैं..
जैसे काली घटा में छिपे पट हैं ,
अक्सर किसी राह में खो जाता हूँ,
तुमसे मिलने से पहले हीं तुमसे दूर चला चला जाता हूँ..
तुम्हारे प्रेम की गहराई सायद ना समझ पाऊंगा ,
पर अपनी कहानी तुम्हें बताऊंगा ,,,,
मेरा मन किसी अनजान धुएं खोता हैं,
अक्सर निरर्थक ख्यालों में उलझता हैं,,,,
उलझे ख्यालों से भरा यह मन ,,,
क्या तुम ही हो मेरी धड़कन ॥